थोड़ी सी खुशबू काफी है , बस देख लिया, महसूस किया ( TO ALL MY RESPECTED FRIENDS)
सबसे पहले सभी सम्मानित मित्र जनों को श्री गणेश सुवासित पंखुरियों से मेरा प्रणाम, व्यस्त हूँ मगर दूर नहीं हूँ आप सबसे , आज गुलाब दिवस है , गुलाब मत्राब खूबसूरती और खुशबू दोनों का ही तालमेल बहुत सुंदर है , काश इंसान भी गुलाब की तरह होता , जब तक जीवन होता बस खुशबू में रचा बसा होता, मैं जिस शहर की हूँ वहाँ गुलाब बाडी है,मुग़ल कालीन ..वहां बहुत से कला प्रतियोगिताएं संपन्न होती हैं मैंने भी जाने कितनी आडी तिरछी रेखाएं उकेरी थी वहाँ. अब हमने ना सही विदेशियों ने ये दिन मुक़र्रर कर ही दिया है तो
खुशबू के दिन को हर व्यक्ति समर्पित होना चाहेगा,,,,
एक था कागद का वो पन्ना
कुछ शब्दों की एक कवायद
शब्द थे क्या बस कुछ खुशबू थी
बस जीवन की एक रवायत
स्वीकारा था मैंने उस दिन
एक फूल से एक जीवन को
आज तलक बस बसी है मन में
मैं और खुशबू एक नजाक.
कहते हैं एक फूल ही तो है
तोड़ो और खुशबू लो इसकी
कुछ पल तक जीवन के पल सा
फिर बिखर गया खुशबू देकर
कुछ पल ऐसे भी होते हैं
जो हर पल खुशबू देते हैं
एहसास अगर हो खुशबू का
हल्की सी हंसी में दिखते है
कितनी आशाएं जीवन की
कितने मधुरिम छण आगे आयेंगे
गर एक पुष्प जो बिखर गया
जाने कितने खिल जायेंगे
मत तोड़ो उसको रहने दो
एहसासों को सुरभित होने दो
बंद होती पलकों के संग में
पंखुरियों को भी सोने दो
माना कोमल है दीर्घ नहीं
फिर भी जितना है सुंदर है
मेरे प्रिय जीवन येही तो है
आवाज नहीं बस खुशबू है
No comments:
Post a Comment