Monday, 19 May 2014

कसम से बस एक बार

कसम से बस एक बार

26 January 2013 at 12:02


कसम से बंद मुट्ठियों में
तूफ़ान  आने दो
छोड़ देंगे हम तभी
बस जज्बये अरमान आने दो

अब बहत हुआ बहुत हुआ
बहुत कह चुके
हम भी बढ़ेंगे आगे
बस नजरों सम्मान आने दो

तुम हो क्या औकात में
हम ये बहुत सुन चुके
तुम देखना मानोगे ही
बस एहसान आने दो




कितने खिड़की और दरवाजे
सूरज की किरने आने दो
गम को मत देना पता अपना
खुशियों को खुद पे छाने दो
जो बीत गया वो एक पल था
अब जीवन की मियाद लम्बी
आगे का पथ देखो कैसा
चल दो आगे ...बस जाने दो,,,

एक बात कहूं जो सच सा है
अपनी सत्ता को पहचानो
ले जनम उसे ना व्यर्थ करो
मति भ्रम से बचो ओ परवानो
कैसे कह दूं आजाद हैं हम
हम इसी देश के वासी हैं
जो भूमि कभी थी देव भूमि
अब हैवानो  की फांसी है ,




कोई रंग काम ना आयेगा
जब घाव हरे हों सीने पर
मन पर कितने ही छाले हों
सब छले गए हों अपनों से

हर रंग मिला कर देखो तुम
क्या रंग अलग कर पाओगे
जो दिया इश ने हम सबको
उस पर मिट्टी बिख्राओगे ?


फिर मत  कहना ये वसुंधरा
देगी सोना उपजाकर फिर
हम भार हैं अब इस धरती पर
गर पशुता को अपनाओगे.

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