Sunday, 18 May 2014

मुझसे उस बात की कसम ले लो


मुझसे उस बात की कसम ले लो

10 November 2012 at 22:34
 


मुझसे उस बात की कसम ले लो

उस एक मुलाक़ात की कसम ले लो

उन खतों में लिखे वादे की
मुझसे उस याद की कसम ले लो


वो पहली सांस में एक नाम कहा

शुरू से पहले ही अंजाम कहा

आज मिलना नहीं तो ना ही मिलो

मगर आगे की तो कसम ले लो




तोड़ कर टुकड़ों में तो मत बांटो

खुशबू है  सांस रहे या ना रहे

याद सी दिल में ही वो महकेगी
मेरे इन टुकड़ों की कसम लेलो
 

माना की शक्ति नहीं जीने की

हवा उड़ा कर ले जायेगी
<p>मेरे टुकड़ों की दिशा कहाँ तय थी</p> <p>अभी मेहमान की कसम लेलो</p>


सांस के तार टूट जायेंगे
रूप या रंग याद आयेंगे
मगर नजरों में भर के उस मन को
मेरे जन्मों की तुम कसम लेलो

हमी से रूबरू हो सोचोगे
मिलन कहाँ पे और जुदाई है
मिटा दो हाथ की लकीरों को
एक हो जाने की कसम ले लो

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