जिंदगी चलती रहेगी.
जिन्दगी के पैर देखे ?
भागते हैं सड़कों पे ये
कुछ मशीनों की शकल में
कुछ निशानों की दखल से
हर तरफ ये शोर करती
कही गिरती या फिसलती
फिर उठी जो दम लगाकर
दौडती दर कदम चलती
दूर टिम टिम रोशनी सी
फलक पर बिखरी हुयी है
दौड़ कर बस तोड़ लो तुम
अगर पहुंचे वहा तक तुम
कितनी गलबहियां मिलेंगी
कितने नफरत के पुलिंदे
हर तरफ एक प्रश्न सी ये
खौफ से रुकती हुयी ये,
जिन्दगी के पैर देखे ?
क़दमों की भाषा थी समझी ?
चाल के कितने नमूने
समझ लो रुख जिन्दगी के
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