आसमा पे रहने वालों से एक गुजारिश मेरी भी है,,,,
by Suman Mishra on Saturday, 19 May 2012 at 00:20 ·
ये जीवन अनदेखा सा है,
कितने आधे अधूरे किस्से
कुछ तो दूरिया रखनी होगी ,
वरना सब एक जैसे होंगे,
वो एक कद है ,नायाब सा हीरा
,मगर अकेला बंद पिंजरे में
बड़ी चौकसी उसपर होगी ,
क्या होगा जो पा लूं उसको
हर पल चकाचौध की बाते,
क्या ये सब मन पूर्ण करेगा
कहीं रोशनी कहीं अँधेरा
दोनों से जीवन पनपेगा ( हर स्थिति जरूरी है)
हर पल है अहमी सी गुजारिश,
इसीमे जीना सीखा हमने
कैसे कह दें पाँव पंख से
हम आसमा के घर में रहते हैं
सब कुछ जो उगला धरती ने
वही अन्न है मैंने खाया
हो सकता है अलग जहां का
पड़ता हो तुम पर कुछ साया
क्या ये शरीयत है बातों की
इसमें मनन ना कोई चिंता
जहां मन किया धावा बोला
ढाल लगा कर उड़ा परिंदा
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