शब्द से निर्माण कर, कर्म से आह्वान कर
by Suman Mishra on Sunday, 20 May 2012 at 15:36 ·
शब्द से निर्माण कर,
कर्म से आह्वान कर
पंख काटे जो विहग के
नया आसमान कर
उसका जो आंचल फटा है
तनिक ना अपमान कर ,
पग उठे जो आगे बढ़ जा
अब नहीं अवसान कर
सोचने दे मुक्ति का पथ
इतने झंझावत यहाँ
कौन कहता है ये अपना
अहम् का विराम कर
रक्त का प्रवाह बढता
लहर दर लहरों से रिश्ता
ये उफनती नदी तत्पर
मुश्किलों का भान कर,
बचपने की याद मत कर
पलों का हिसाब मत कर
भूलकर बीती सी दुनिया
नए युग का मान सत कर
हर तरफ एक ताजपोशी
इंसां को फरमान मत कर
आँख खुलते हाथ सत्ता
सब यहाँ बलवान विषधर
शंख से हुंकार लेकर
बांसुरी की नाद भरकर
धनुष की टंकार सा मन
शत्रु से ललकार तू कर
शत्रु जो बस हारता है
वीर वो जो मारता है
मन का जीता जीत सबको
एक अमोघ हथियार बनकर
, सशक्त विचार कणिकाएं हैं सभी .बधाई स्वीकार करें .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
23 मई 2012
ये है बोम्बे मेरी जान (अंतिम भाग )
http://veerubhai1947.blogspot.in/
यहाँ भी देखें जरा -
बेवफाई भी बनती है दिल के दौरों की वजह .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
shukriya
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