माना की आज मेरा दिन नहीं है, कल का सूरज मेरे इशारे पर.....
by Suman Mishra on Wednesday, 2 May 2012 at 19:26 ·
अब कहाँ प्रतिकार हमको
मिलते रहे धिक्कार हमको
ये पता है आज नहीं तो
कल करेगा स्वीकार हमको
सर झुका कर चल रहे हैं
खुद को बचा कर चल रहे हैं
हर कदम एक इम्तिहाँ है
"मैं हूँ" मिले अधिकार हमको
कब कहाँ पर शाम होगी
जिन्दगी ब्योधान होगी
मुश्किलों का आना जाना
कितनो पर एहसान होगी
चल पड़े हैं तनहा तनहा ,
वज्र से अब सामना क्या
कृष्ण है जब सारथि तो
चक्र का अरमान होगा.
हम तो मोहरे उसके ही हैं
शक्ति का अभिमान होगा
ख्वाहिशों के सूर्य लेकर
हर दिशा में नाम होगा,,
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