आज हमने दोस्ती की नीव फिर से रख ही दी.....
by Suman Mishra on Thursday, 3 May 2012 at 01:09 ·
आज हमने दोस्ती की नीव फिर से रख ही दी
याद में शामिल मुलाकातों का दौर रुक गया
हम तो समझे थे की कोई खफा है मुझसे
वो जो एक रूबरू सी शाम गिला मिट गया
उसकी यादों ने मुझे तनहा बनाया था यकी
उसकी बातों से मुझे भीड़ का एहसास हुआ
हम थे यूँ अपने रास्ते पे अकेले ही सफ़र
उसने दो कदम मिला कारवां बना ही दिया
वो कभी जान ना ले मेरे मन की बातों को
मेरी हर बात तौल उसने शुबहा मान लिया
काश ये दोस्ती अशआर की तरहा होती
जिदगी फलसफो जैसी यूँ बेजुबान होती
ऐसे ही रोज एक नया अशर लिख देते
नए लब्जों में गम ये नीव मकां ना होती
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