वज्र से जल धार निकले --- मेरा अट्टहास लिखना (जोड़ लो मुझको सभी से )
कितने भी विषाद लिख लो
मेरा अट्टहास लिखना
कही धुन सी नाद सुनना
मेरी भी एक तान लिखना
स्वर जो फूंके प्राण भर दो
पंक्ति में अंजाम भर दो
कितना संचित स्वप्न सा मन
दिवस में आह्वान भरना
कहाँ तक ये तन चलेगा
मन दुखेगा पग थकेगा
पथिक की राहों में अपना
तुम ज़रा सम्मान लिख दो
एक जीवन बस नहीं क्या
आगमन में रस नहीं क्या
जितने भी रिश्ते हैं छूटे
अपना एक अनुमान लिखना
ज्वलित है तन काया भस्मित
जिंदगी अभिशप्त पलती
हम चले अंगार पर यूँ
मेरा बस अभिमान लिखना
वज्र से जल धार निकले
मेरा अट्टाहास लिखना
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