Tuesday, 22 May 2012

बारिश की बूँद या ---सूखी मिटटी, गीली मिटटी या मरीचिका (हाइकु)


बारिश की बूँद या ---सूखी मिटटी, गीली मिटटी या मरीचिका (हाइकु)

by Suman Mishra on Saturday, 12 May 2012 at 17:27 ·


जल  तलाश
तलाव कही पर हो
जीवन वहीं

हर तरफ
उम्मीद है उसकी
बस पानी हो 


सूखे होंठ हैं
तरबतर सा मन
पसीना बहा

पथिक मन
दूरियों तय कर
मरीचिका थी



बूंदों का नृत्य
देखा था  मैंने कभी
बचपन में

गीले पाँव थे
माँ की डांट पडी थी
भीगा था मन

बार बार मैं
बारिश में निकलूँ
दोस्तों के साथ

अमराई में
कोयल के साथ यूँ
कुहू कुहू से

सूखी  धरती
बारिश अब आ ना
प्यास बुझाना


बारिश, ओस
बूंदों में ठहरी है
कोमल स्पर्श

मेहमां सी है
बरखा रानी यूँ तो
तरसाती है

वो याद आया
बहुत याद आया
ऐसे रुलाया

बूँद या आंसू
दोनों ही मोती से है
बिखरेंगे ही,,,

No comments:

Post a Comment