Tuesday, 22 May 2012

माँ की आँखें


माँ की आँखें

by Suman Mishra on Wednesday, 14 March 2012 at 23:32 ·


बहुत दिन से सोच रही थी आँखों की सुंदरता क्या है...
शक्ल सूरत , चाल ढाल, बोलने का तरीका
सब पर लोग फ़िदा होते हैं,,,,
किसी की आँखों को गहरी झील, किसी की शरबती
किसी की नशीली ,,,,मगर मुझे नहीं समझ में आयी ये उपमा

कोई इन शरबती झील में डूबा दे और आप डूबे ही रहें
उसका नशा ही ना उबारे आपको ऐसी आखें हैं या ?
फिल्मो में किसी तारिका को उसके रूप पर पहचानते है
लेकिन माँ को उसकी आँखों में गहरे  वात्सल्य की आभा से

क्या नही है माँ की आँखों में .....  
इनमे अम्बर की गहराई , इनमे गंगा का निर्मल जल

इनमे चिंता है अपनों की ,माथे पर है ये जितने बल
सपने है नहीं बस सच्चाई ये साफ़ झलकती है इनमे
माँ की आँखे जो तेज भरी विश्वास से भर देती है हमें

  

वो नाप है लेती कदमो को बस आँखों से अपनेपन से

हलके से हों पदचाप अगर वो दौड़ के आती है मिलने

वो आँखे पीछा करती हैं बन ढाल हमारे जीवन में
माँ की आँखों की ज्योति दिए सी जलती है हर आँगन में


वो शुध्ह बहुत वो सौम्य बहुत वो शीशे के मानिंद सी है

तम गहरा कितना भी क्यों ना वो सूर्य तेज रेनू सी है
उसके स्नेह की बारिश से हम भीग भीग के बड़े हुए
पर आज तलक उसकी आँखें तस्वीर हमारी लिए हुए...

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