हाइकु "इन्तजार" (अंतिम)
by Suman Mishra on Wednesday, 2 May 2012 at 14:39 ·
आस आँखों की
वो मनचाही चीज़
कब मिलेगी
तुम आ रहे हो ना
किसीने कहा
मुझसे कहा होता
अगले साल
थोड़े पैसे आयेंगे
फिर हँसेंगे
वो जो मुझे प्रिय है
पास नहीं है
शायद कभी नहीं
एक आइसक्रीम
ठंडी सी होगी?
आह के जैसी
दूर ढलता दिन
वहाँ वो साया
मगर तुम नहीं
ये पत्र तुम्हारे हैं
पढ़ा नहीं है
दिखता नहीं अब
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