Tuesday, 22 May 2012

हर बात अधूरी ही सही रहने दो,,,,


हर बात अधूरी ही सही रहने दो,,,,

by Suman Mishra on Friday, 4 May 2012 at 01:23 ·

अपनी हर बात अधूरी सी यूँ ही रहने दो
बिना लहरों पे तिरी नाव यूँ ही रहने दो
जाने क्यों ये अलग एहसास मुझे भाता है
अपनी बातों मेरी बात ख़ास रहने दो

कहीं भी नाम मेरा आये अभी सोच लो तुम
नहीं देना उसे अंजाम अभी सोच लो तुम
ये तो मंजिल नहीं या कोई भी चौ रास्ता सा
मुड़ेगा जाके मेरे पास अभी सोच लो तुम



तुम्हारी शक्ल पे अब अक्स मेरा आता है
कभी गुमराह सा मुझको भी कर के जाता है
ये बेगुनाही ही हुयी मैंने खुद अलग करके
जो तुम्हारा था तुम्हे सौंप दिया ,कह के चला जाता है

अधूरी बात ने मुझको अजब  एहसास दिया
एक हल्की सी कहर , मगर उसने आस दिया
तुम्ही बोलो ये बात कैसे दूं विराम इसे
जिसने मुझे अब जीने का एहतराम दिया


बस एक फूल का खिलना अभी भी जारी है
थोड़े से शोख रंग , भरने की तैयारी है
इसे पूरा ना करू, और भी रंगों की तहद
अधूरा ही सही , खुशबू में खुमारी है

ना जाने कितने अधूरे मन यहाँ पूरे ना हुए
येही विधा है जो सपने यहाँ  अधूरे रहे
फिर उन्हें बार बार मन के द्वार पर रखा
एक अधूरी सी बात पूरा है अधिकार मुझे,

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