"हाइकू" ."सपने " (प्रयास)
by Suman Mishra on Tuesday, 1 May 2012 at 12:23 ·
सपनो का हिसाब
कितने देखे
तुम भी थे उसमे
बेआवाज दुनिया
मैं अकेला सा
तुम्हे पुकारते हैं
माना की कोई नहीं
बस एक वो
मूक सा मन वही
आज वो सामने है
कई बार देखा
मगर सपने में
बहुत बंदिशे हैं
नहीं मिलेंगे
स्वप्न में भी नहीं
पसीना छलका है
धुप कड़ी थी
सच हुआ सपना
दूरियों का हिसाब
देना मुझे
जागती आँखों से
फासला ये उम्र का
वक्त ने बढ़ा दिया
गौर करना तुम
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